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निर्दयता की पराकाष्ठा

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नीरज कुमार महंत पिछले दिनों एक ख़बर मिली कि एक गर्भवती हथिनी की बड़ी निर्दयता से हत्या कर दी गई है। ये हत्या कैसे की गई इसकी जानकारी पढ़ने के बाद मन इतना दुखी हो जाता है कि सच मानिए, मानवता पर से भरोसा उठ जाने जैसा महसूस होता है। लेकिन किसी एक घटना को […]

स्त्री की परिभाषा को कुछ शब्दों में नहीं समाया जा सकता

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नीरज कुमार महंत ये बात तो हम सब जानते हैं कि स्त्री एक ख़ाली मकान को घर होने का एहसास दिलाती है चाहे घर मिट्टी का हो या संगमरमर का। ये ज़िम्मेदारी इतनी बड़ी होती है कि पुरुष चाहे कितनी भी कोशिश कर ले एक स्त्री के अपेक्षा कभी उनपर पूरी तरह से खरा नहीं […]