मैनहर्ट घोटाला-8: टेंडर खुल जाने के बाद मूल्यांकन करने वाली तकनीकी उप समिति और मुख्य समिति ने कहा- निविदा रद्द कर दी जाए, लेकिन नहीं हुआ

सरयू राय

रांची: निविदा शर्तों में गैरकानूनी परिवर्तन- ‘ओआरजी और स्पैन ट्रायवर्स मॉर्गन’ को रास्ते से हटाने के बाद झारखंड सरकार के नगर विकास विभाग ने रांची शहर के सिवरेज ड्रेनेज निर्माण एवं पर्यवेक्षण का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार करने के लिये परामर्शी का चयन करने हेतु 30 जून 2005 को एक ग्लोबल टेंडर (वैश्विक निविदा) प्रकाशित किया. इसका निविदा प्रपत्र प्राप्त करने की अंतिम तिथि 15 जुलाई 2005 थी. निविदा की शर्तों एवं तकनीकी विशिष्टियों को समझने-समझाने के लिये निविदा पूर्व (प्रि-बिड) बैठक 18 जुलाई 2005 को विभागीय सचिव के कक्ष में हुई.

इस बैठक में निविदा प्रपत्र का क्रय करने वाली फर्मों के प्रतिनिधि शामिल हुये और निविदा प्रपत्र के विविध पहलुओं पर अपना सुझाव दिया. उन्होंने प्रपत्र में कतिपय संशोधन भी पेश किया, जिनमें से कुछ को सरकार ने स्वीकार भी किया. इस आलोक में 4 निविदादाताओं ने निविदा प्रपत्र भर कर जमा किया. निविदा प्रपत्र भर कर जमा करने की अंतिम तिथि 25 जुलाई, 2005 को अपराह्न 4 बजे तक थी . तदुपरांत निविदा प्रपत्रों का मूल्यांकन हुआ. सरकार ने मूल्यांकन के लिये एक तकनीकी उपसमिति गठित किया. रांची नगर निगम के प्रशासक को इस तकनीकी उपसमिति का अध्यक्ष और दो कार्यपालक अभियंताओं, श्री केपी शर्मा और श्री उमेश गुप्ता को सदस्य नामित किया. इसके अतिर्नित चार सदस्यों वाली उच्चस्तरीय मुख्य समिति बनाई गई. इसमें नगर विकास विभाग, वित्त विभाग और भवन निर्माण विभाग के सचिव और पथ निर्माण विभाग के केन्द्रीय निरूपण संगठन के मुख्य अभियंता सदस्य रखे गये.

यह निविदा विश्व बैंक के क्वालिटि बेस्ड सिस्टम (टइड) अर्थात गुणवत्ता आधारित प्रणाली पर आधारित थी. इस प्रणाली में निविदा तीन मुहरबंद लिफाफों में आमंत्रित की जाती है. पहले लिफाफा में निविदादाताओं से उनकी योग्यता की विशिष्टियां, दूसरे लिफाफा में उनकी तकनीकी विशिष्टियां और तीसरे लिफाफा में कार्य की वित्तीय लागत मांगी जाती है. निविदा प्रपत्र में योग्यता और तकनीकी उत्कृष्टता के मापदंड निर्धारित रहते हैं. योग्यता के मापदंड पर खरा उतरने वाले निविदादाताओं के ही तकनीकी लिफाफे खोले जाते हैं. योग्यता के एक भी मापदंड पर अपूर्ण रहने वाले निविदादाता के तकनीकी एवं वित्तीय लिफाफे नहीं खोले जाते. उन्हें निविदा प्रतिस्पर्धा से बाहर कर दिया जाता हैं. इसके बाद निविदा का तकनीकी मूल्यांकन होता है.

जो निविदादाता तकनीकी मूल्यांकन में सर्वांधिक अंक प्राप्त करता है, केवल उसी का वित्तीय लिफाफा खोला जाता है. यानी इस प्रणाली में वित्तीय प्रतिस्पर्धा नहीं होती है. इसलिये निविदा में भाग लेनेवाला प्रत्येक निविदादाता वित्तीय लागत बढ़ा-चढ़ा कर पेश करता है. फलतः परियोजना के निर्माण में लागत अधिक आती है. यह प्रणाली अतिविशिष्ट प्रकार की संरचनाओं के निर्माण हेतु आमंत्रित निविदाओं में शामिल की जाती है. जैसे हवाई जहाज, पनडुब्बी, युद्धक विमान, रॉकेट आदि. इसके अतिरिक्त सामान्य विशिष्टयों वाले निर्माण कार्यों के लिये परामर्शी का चयन करने के लिये विश्व बैंक की एक अन्य प्रणाली भी है, जिसे क्युबीसीएस यानी क्वालिटी एवं कॉस्ट बेस्ड सिस्टम (गुणवता एवं लागत आधारित प्रणाली) कहा जाता है. इसमें योग्यता और तकनीकी विशिष्टता के साथ ही लागत में भी निविदादाताओं के बीच प्रतिस्पर्धा होती है. जिस कारण परियोजना की लागत कम से कम आती है. झारखंड राज्य में आम तौर पर यही निविदा प्रणाली अपनाई जाती है.