मनरेगा मजदूरों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लौटाए पांच रुपये

लातेहार(झारखण्ड), 1 मई 2016: मजदूर दिवस के अवसर पर झारखंड के लातेहार जिले के मनिका प्रखंड के सैकड़ों मजदूरों ने प्रधानमंत्री को आज डाक से पांच रुपये भेज कर इस साल झारखंड में नरेगा के मजदूरी में मात्र पाँच रुपये की मामूली बढ़ोत्तरी (162 रुपयेसे 167 रुपये) के खिलाफ अपनाविरोध दर्ज किया। इसके साथ ही मनरेगा मजदूरों ने रैली निकाली व सम्मेलन किया। विरोध प्रदर्शन, रैली व सम्मेलन का आयोजन स्थानीय ग्रामीण मजदूरों के संगठन ग्राम स्वराज मजदूर संघ के द्वारा किया गया।
ग्राम स्वराज मजदूर संघ के मनरेगा मजदूरों ने प्रधानमंत्री मोदी 5 रुपये के साथ एक पत्र भी लिखा है, जिसमें मजदूरों कहा कि इस वर्ष आपकी सरकार ने नरेगा में हमारी मजदूरी 5 रूपये ही बढ़ाई है। हम बहुत भाग्यशाली हैं, चूँकि देश के 17 राज्यों में बढ़ी नरेगा मजदूरी तो 5 रूपये तक भी नहीं है। लगता है ओड़िसा राज्य के मजदूर काफी संपन्न हो गये हैं क्योंकि उनकी मजदूरी तो एक पैसा भी नहीं बढ़ी है हम इतनी कम बढ़ी हुई मजदूरी को लेकर बहुत चिंतित हैं। हमें लगता है कि आपकी सरकार के पास पैसे की कमी हो रही है, वरना नरेगा की मजदूरी कम से कम राज्य की न्यूनतम मजदूरी तक तो जरूर बढ़ती, खासकर के इस समय, जब देश का एक तिहाई भाग सुखाड़ की चपेट में है (अगर आपको जानकारी न हो, झारखण्ड में अभी न्यूनतम मजदूरी 212 रूपये है) हमें ऐसा लगता है कि हमसे ज्यादा आपको इन 5 रूपये की जरूरत है, आखिर आपकी सरकार के खर्च भी तो इतने सारे हैं। सातवें वेतन आयोग की अनुशंसाओं के अनुसार, अब सरकारी कर्मचारियों के वेतन व पेंशन पर खर्च 1 लाख करोड़ रूपये बढ़ जाएगा। रक्षा (डिफेन्स) पर खर्च 2.5 लाख करोड़ रूपये हैं। कम्पनियों को कर व अन्य प्रकार की छूट देने और सस्ते दाम पर जमीन व अन्य संसाधन देने में भी तो आपका पैसा जाता होगा? यह सब सोचते हुए हम नरेगा श्रमिकों ने व्यापक पैमाने पर सामूहिक निर्णय लिया है कि हम आपको झारखण्ड राज्य में बढ़ी हुई नरेगा मजदूरी दर अर्थात् 5 (पाँच) रूपये आपको वापिस कर रहे हैं। आशा है कि हम सब मजदूरों द्वारा लौटाए गये पैसे से आप अपने कम्पनी मालिक दोस्तों व कर्मचारियों को और खुश कर पाएंगे।
सम्मेलन में बोलते हुए झारखंड मनरेगा वाॅच के राज्य समान्वयक जेम्स हेरेंज ने कहा कि पिछले साल झारखंड में नरेगा मजदूरी मात्र 4 रुपये (158 रुपये से 162 रुपये) बढ़ोत्तरी गया था जबकि इस साल मात्र 5 रुपये ही बढया गया। मजदूरों ने कहा केंद्र व राज्य सरकार के मजदूर विरोधी रेवैये अपनायी है, तभी मनरेगा मजदूरों को मात्र पांच रुपये ही मजदूरी का भुगतान किया गया है। नेताओं कहा कि झारखं डमें कम से कम मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी तो दी जाये। मजदूर नेताओं ने कहा कि जब तक मनरेगा मजदूरों मजदूरी नहीं बढ़ाई जायेगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगी।
प्रोफेसार ज्यां द्रेज ने कहा कि सरकार मनरेगा मजदूरों के साथ खिलवाड़ कर रही, क्योंकि पूरा झारखंड सुखाड़ की चपेट में मजदूरों के सामने भोजन की समस्या है, वहीं दूसरी तरफ सरकार भी मनरेगा मजदूरों के साथ अन्य कर रही है, उनकी मजदूरी मात्र 5 रुपये ही बढ़ाया है और मजदूर के विरोध स्वरूप प्रधानमंत्री मोदी सरकार को 5 रुपये भेज कर मनरेगा मजदूरों ने अपना विरोध जताया है।
जनसंग्राम मोरचा के युगल पाल ने कहा कि मनरेगा के अंतर्गत रोजगार, 15 दिनों के अन्दर मजदूरी के भुगतान एवं अन्य अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं .हालाकि नरेगा कार्य में लोगों की रूचिकम हो रही है क्योंकि इसके अंतर्गत मिलने वाली मजदूरी बहुत ही कम है. झारखंड में न्यूनतम मजदूरी 212 रुपये प्रतिदिन है, मगर वहीं मनरेगा मजदूरों को झारखंड मात्र 167 रुपये ही मजदूरी दी जा रही है।
वहीं एसीडीएचआर के सुनिल मिंज ने कहा कि सरकार हमेष से मजदूर, दलित, आदिवासियों के साथ अन्य कर रही है। उन्होंने कहा कि मनरेगा में मजदूरों की मजदूरी कम दी जा रही है, जब वहीं दूसरी टीएसपी व एससीएसपी के काफी पैसे मनरेगा दिया गया, मगर राषि को अधिकार, नेता मंत्री व बिचैलियां मिलकर लूट रहें हैं, वहीं दूसरी ओर दलित आदिवास मजदूरों जीविका के लिए दर की ठोकरे खानी पड़ रही है। वहीं दलित अधिकार सुरक्षा मचं के प्रदेष संयोजक विनोद कुमार ने कहा कि मजदूरों ने जो अपनी हक की लड़ाई छेड़ी व काफी सराहनिय कार्य किया है, दलित अधिकार सुरक्षा मंच मनरेगा मजदूरों के व संगठन के साथ हमेषा मिलकर आंदोलन को तेज करेगी। भाकपा माले के वचन सिंही ने सम्मेलन बोलते हुए कहा कि मनिका में मजदूरों ने आज रैली व सम्मेलन कर मोदी सरकार के मजदूर विरोधी चेहरा को वेनकाब करते हुए सैकड़ों मजदूरों ने प्रधानमंत्री को पांच रुपये मजदूरी भेजी, जो मोदी सरकार के उपर चमाचा है।
रैली व सम्मेलन में पचाठी सिंह, धीरज, अंकिता, सिराज, मिथिलेष कुमार, अकाष, कमलेष उरांव, ष्यामा सिंह, सुनिल कुजूर, सुमणी कुवंर, ममता देवी, उषा कुमारी, अमर दयाल सिंह, सत्येंद्र, दिलीप, राजेष्वर, लाल बिहारी सिंह सहित कई लोगों अपने अपने विचार व सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से मजदरों के हक की लड़ाई को तेज किया।