बकोरिया कांड में हो रहे हैं, प्रतिदिन नये-नये खुलासे

पलामू : वर्तमान समय में बकोरिया कांड को लेकर राज्य का राजनीतिक माहौल काफी गरम है. सरकार से विपक्ष भी इस घटना के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की पुरजोर मांग कर रहा है. विपक्ष और इस घटना से जुड़े तथ्यों के अनुसार इसे फर्जी नक्सल एनकांउटर माना जा रहा है. लोग इसके साजिशकर्ता पुलिस और डीजीपी को मान रहे हैं. बकोरिया कांड में मारे गये बच्चों के परिजनों के पास सीआईडी की टीम 30 महीने के बाद पहुंच सकी. घटना के दिन गांव के ग्रामीणों को अखबार के माध्यम से सूचना मिली थी. जिसमें गांव के बच्चों की तस्वीर भी मृतकों के रूप में छपी थी. घटना के बाद गांव में डर और भय का महौल बन गया. भय के कारण गांव के पुरुष गांव से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा सके. परिजनों का भी रो-रो कर बुरा हाल था. ऐसे माहौल में परिजन भी अपने बच्चों की पहचान करने और उनका सच सामने लाने की हिम्मत नहीं जुटा सके. परिजन पुलिस एवं नक्सलियों के डर से मारे गये बच्चों की पहचान करने से बचते रहे. पहचान न करने के कारण अपने मृत बच्चों के अंतिम क्रियाकर्म भी परिजन नहीं कर पाये. पुलिस ने बच्चों के शवों के साथ क्या किया उनके परिजन आज तक नहीं जान पाये. बकोरिया कांड में मारे गये लोगों में 5 नाबालिग थे. ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार फर्जी नक्सली मुठभेड़ के नाम पर नक्सली बता कर पांच नाबालिगों की हत्या कर दी गयी थी. जिसमें महेंद्र सिंह खरवार (पिता कमलेश्वर सिंह खरवार, उम्र 15 वर्ष, गांव हरातु), चरकु तिर्की (भाई विजय तिर्की, उम्र 12 वर्ष, गांव अम्बाटिकर), बुद्धराम उरांव (भाई महिपाल उरांव, उम्र 17 वर्ष, गांव करूमखेता), उमेश सिंह खरवार, (पिता पचासी सिंह खरवार, उम्र 16 वर्ष, गांव लादी), सत्येंद्र पहरहिया (पिता रामदास पहरहिया, उम्र 17 साल, गांव लादी) के थे. बकोरिया कांड के ढाई साल बीतने के बाद 8 जनवरी 2018 को एक जांच टीम गांव पहुंची. गांववालों को बताया गया कि गांव के जो बच्चे मारे गये हैं, उनकी पहचान करने के लिए हम लोग रांची से और लातेहार जिला प्रशासन की ओर से आये हैं. बच्चों की तस्वीर दिखा कर परिजनों से पूछा गया- क्या यह आपका बच्चा है! घरवाले ने रोते-बिलखते हुए बताया हां यह हमारा बच्चा है. परिजनों ने कहा कि हमारे बच्चे स्कूलों में पढ़ते थे. क्या पता किस परिस्थिति में वह डॉक्टर के साथ चले गये और उसके अगले दिन खबर आयी कि बच्चे मारे गये. गांव में मातम का माहौल था. कोई कुछ समझ नहीं पा रहा था. ऐसे में हम अपने बच्चे की पहचान करने से भी डरने लगे.
हरातु पंचायत के तीन बच्चे मारे गये थे :- हरातु पंचायत के मुखिया मुन्द्रिका सिंह कहते हैं कि हमारे पंचायत से भी बकोरिया कांड में मारे गये लोग शामिल थे. वह सभी नाबालिग थे. घटना के समय अखबारों के माध्यम से हमलोगों को सूचना मिली थी. डर के कारण परिजन भी बच्चों का मृत शरीर गांव नहीं ला पाये. उनके शवों का क्या हुआ, आज भी गांव वालों और परिजनों को जानकारी नहीं है. घटना हुए लगभग तीन साल होने को हैं जिला प्रशासन की ओर से कभी गांव में खोज खबर नहीं ली गयी. 8 जनवरी 2018 को जिला प्रशासन के लोग और रांची से आई टीम पुलिस फोर्स के साथ गांव पहुंची. टीम के द्वारा गांव में अकार मारे गये बच्चों की तस्वीर दिखाकर हम लोगों से बच्चों की पहचान करने को कहा गया. हम लोगों ने बच्चों की पहचान की और मैंने उसका सत्यापन भी किया. बेकसूर बच्चों की मौत के मामले में आज भी गांव वाले काफी दुखी हैं. परिजनों के साथ-साथ गांव के लोगों के मन में बच्चों के दाह संस्कार नहीं कर पाने का मलाल आज भी है. मुखिया कहते हैं. मेरे पंचायी के मारे गये तीन बच्चे गरीब परिवार से थे. मेरी सरकार से गुजारिश है कि सरकार की ओर से मारे गये सभी बच्चों के परिजनों को सहायता दी जाये.
पलामू के तत्कालीन एसपी दबाव में काम कर रहे थे, सतबरवा के थानेदार
पलामू के चर्चित बकोरिया कांड में अहम गवाह और वहां के तत्कालीन सदर थाना प्रभारी हरीश पाठक ने सनसनीखेज खुलासा किया है. उसने मामले में सीआइडी को लिखित बयान भी दिया है. कहा है कि घटनास्थल पर पहुंचने के आधे घंटे के बाद पहले से वहां मौजूद सतबरवा ओपी प्रभारी मो रुस्तम मुझे बुलाने आये, कहा कि साहब बुला रहे हैं.

जाने पर पलामू के एसपी साहब कन्हैया मयूर पटेल बोले कि जल्दी से इंक्वेस्ट तैयार कर सभी शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो. साथ ही मामले का वादी भी तुम ही बन जाना. तुम अपना भी फायरिंग दिखा देना. मुझे मामला पूरी तरह से संदिग्ध लग रहा था. इसलिए मैंने एसपी साहब से कहा कि जब मैंने मुठभेड़ किया ही नहीं, तो वादी कैसे बन सकते हैं. कल को जब मामले की जांच होगी, मेरे मोबाइल का लोकेशन सदर थाने पर दिखेगा. तब समस्या खड़ी हो जायेगी और मैं फंस जाऊंगा. इस पर एसपी साहब ने कहा कि 15 दिन में केस का सुपरविजन हो जायेगा. कोई दिक्कत नहीं होगी. इसके बावजूद भी जब मैंने इनकार किया, तो वे नाराज हो गये. मुझे डांटा. बोले तुमको सस्पेंड कर देंगे. बाद में पता चला कि सतबरवा ओपी प्रभारी मो रुस्तम इस कांड का वादी बन गया था.

आठ जून की रात एसपी ने दी थी मुठभेड़ की जानकारी :- हरीश पाठक ने अपने बयान में कहा है कि एसपी कन्हैया मयूर पटेल ने आठ जून 2015 की रात दो बजे मेरे मोबाइल पर फोन किया. कहा कि सतबरवा के बकोरिया में पुलिस मुठभेड़ हो गया है. कई मारे गये हैं. तुम एडीएम लॉ एंड आर्डर के यहां जाओ और उन्हें लेकर मौके पर पहुंचो. इसके बाद एडीएम को लेकर साढ़े तीन बजे के बाद सतबरवा थाने पहुंचा. वहां से बकोरिया घटनास्थल पर गया. वहां सतबरवा के तत्कालीन थाना प्रभारी मो. रुस्तम और अन्य पुलिसकर्मी के साथ सीआरपीएफ के दर्जनों लोग मौजूद थे. कोई घटना के बारे में सटीक नहीं बता रहा था. एसपी पलामू, लातेहार और एडीएम लॉ एंड आर्डर लगातार किसी से बात कर रहे थे.

सभी लाश एक लाइन से जमीन पर पड़ी हुई थी :- पाठक के मुताबिक उजाला हुआ, तो देखा कि सभी लाश एक लाइन से जमीन पर पड़ी हुई है. सभी के बगल में पीठू और हथियार लाइन से रखा हुआ है. एक रायफल में वोल्ट और मैगजीन नहीं था. आसपास गोली का कोई खोखा भी नहीं था. एक लाश के पास ताजा पत्ता तोड़कर उस पर एक टच स्क्रीन मोबाइल रखा हुआ था. स्कार्पियो गाड़ी के अंदर सीट शीशा, फर्श, डैश बोर्ड, डिक्की, बॉडी व तौलिया पर कोई खून का निशान या छींटा तक नहीं था. गाड़ी की बॉडी में ज्यादातर छेद बाहर से भीतर की ओर गया था. घटनास्थल के 200 से 300 गज के चारों तरफ एक भी बूंद खून का निशान नहीं मिला. पौधों के दबने या उसके पत्ते पर खून का निशान नहीं था.

नक्सलियों के हथियारों को किया गया दुरुस्त :- पाठक ने कहा कि पलामू के डीएसपी टू के चेंबर में आरमोरर जमादार और सिपाही नक्सलियों से जब्त हथियार ठीक करने के लिए पुलिस लाइन से औजार लेकर आये थे. नौ जून की रात 11 बजे तक उन लोगों ने हथियारों को ठीक कर दिया. बैरल को अलग से साफ किया. हथियार ठीक कर कैंपस में एक हथियार से एक राउंड फायर भी की गयी. जबकि दूसरे हथियार से मिस फायर हो गया.

रांची से कई अफसर आये थे मौके पर :- रांची से डीजीपी डीके पांडेय, एडीजी एसएन प्रधान, अनुराग गुप्ता, सीआरपीएफ अधिकारियों के साथ आये थे. वहां पुरस्कार बांटा गया.

आइजी से बात की, तो कर दिया सस्पेंड :- भविष्य में बकाेरिया कांड की जांच होने पर इस मामले को लेकर मैं कहीं फंस ना जाऊं, इसलिए रांची की तत्कालीन आइजी से उस समय फोन पर मशविरा किया. फोन सर्विलांस पर था, इस वजह से मुझे निलंबित कर दिया गया. वहीं दूसरे वरीय पदाधिकारियों का तबादला कर दिया गया.

घटनास्थल के 200 से 300 गज में चारों तरफ एक भी बूंद खून का निशान नहीं मिला
• सभी मृतक का शव एक लाइन से एक साथ ऐसे पड़ा था, जैसे सभी अलग-बगल में सो रहे हों.
• 12 शवों के बीच में कुछ ऐसे भी स्थान थे, जहां खून गिरा था लेकिन शव नहीं था. इससे लग रहा था कि किसी वाहन से लाकर शवों को लिटाया गया है.
• सभी मृतकों के शरीर पर खून सूखा हुआ था.
• अधिकांश मृतकों के शरीर में सीना एवं कमर के ऊपर में कई-कई गोलियों के छेद के निशान थे, जबकि खून का रिसाव न के बराबर था.
• कई मृतक के शर्टव शरीर में गोलियों से हुए छेद में कोई तालमेल नहीं था.
• कई मृतकों के शर्ट का बटन भी सिलसिलेवार नहीं लगा था, जैसे जबरदस्ती शर्ट पहनाया गया हो.
• एक मृतक के शरीर में गोली का निशान था. लेकिन जो वर्दी उसने पहन रखा था, उसमें कोई छेद नहीं था़
• कुछ मृतकों के पास रखा हथियार प्लास्टिक के तार से बना था, जिसका वोल्ट खोलने से ट्रिगर, गार्ड और मैगजीन गिर जाता था.
• एक मृतक के पास रखे 30.06 रायफल में बोल्ट और मैगजीन नहीं था.
• एक अन्य .303 रायफल में भी मैगजीन नहीं था.
• किसी मृतक के कमर में बिंदोलिया भी नहीं था.

कई अफसरों का बयान दर्ज किया जायेगा
रांची. पलामू के चर्चित बकोरिया कांड का सुपरविजन करने के बाद आइजी ने अनुसंधानकर्ता को निर्देश दिया है कि मामले के बाद जो भी अधिकारी मौके वारदात पर गये थे या जो किसी भी रूप में इस मामले से जुड़े थे, उन सभी का बयान लें. इस मामले में सीआइडी कोबरा बटालियन के अफसरों का भी बयान लेगी.

डीआइजी ने भी उठाये थे सवाल : डीआइजी हेमंत टोप्पो ने बयान में कहा है कि उन्हें घटना की रात एक बजे तत्कालीन डीजीपी ने फोन पर सूचना दी कि कोबरा बटालियन के साथ नक्सलियों की मुठभेड़ हुई है. इसके बाद तत्कालीन पलामू एसपी कन्हैया मयूर पटेल व लातेहार एसपी अजय लिंडा से पूछा, तो दोनों ने कहा कि उन्हें मुठभेड़ की कोई सूचना नहीं है. वहीं पलामू सदर के तत्कालीन थानेदार हरीश पाठक ने कहा कि पूरब दिशा में फायरिंग की बात उन्होंने सुनी थी. इससे मामला उलझ गया. मामले की जांच पूरी होने के बाद ही सही तथ्य सामने आयेंगे. ऐसे में सीआइडी का किसी निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल दिख रहा है. ( प्रभात खबर और न्यूज़ विंग से सभार)