फर्जी विज्ञापन-टेंडर का किंगपिन है इंजीनियर

नारायण विश्वकर्मा, संपादक

इंजीनियर के खिलाफ हाईकोर्ट में 1 जून को पीआइएल भी दर्ज


झारखंड में इंजीनियरों के कारनामों पर केस-मुकदमों की लंबी फेहरिश्त है, लेकिन ये भी सच है कि कार्रवाई के नाम पर लीपापोती का पुराना चलन है।
झारखंड के भवन निर्माण विभाग और पीडब्ल्यूडी के अधिकतर मामलों की फाइलें धूल फांक रही है. लेकिन कार्रवाई लंबे समय से लंबित है।


इसी कड़ी में फिर एक भवन निर्माण प्रमंडल, गढ़वा के कार्यपालक अभियंता रमेश चंद्र को एसीबी ने मात्र 5 हजार रुपये घूस लेते हुए पकड़ा। ये जनाब फर्जी विज्ञापन के जरिये निविदा निष्पादन करने में माहिर हैं। इसलिए इन्हें फर्जी टेंडर विज्ञापन का किंगपिन भी कहा जाता है।
इसी इंजीनियर के खिलाफ सोशल एक्टिविस्ट इंद्रदेव लाल ने 1 जून 2020 को झारखंड हाईकोर्ट में पीआइएल दर्ज करवायी है, जिसका केस नं. 2531/2020 है। इंद्रदेव लाल की वकील प्रियंका बाॅबी हैं। ये भी महज संयोग है कि इसके ठीक चौथे दिन यानी 5 जून को इंजीनियर साहब को एसीबी की टीम ने गिरफ्तार किया.


दर्ज पीआइएल में उसी आरोप पत्र का दैनिक अखबारों में भी जिक्र है। इस आरोप पत्र के आधार पर इंजीनियर के खिलाफ दो साल पूर्व ही विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की गयी थी। लेकिन भवन निर्माण विभाग का कमाल देखिए, कार्रवाई के बदले उनका डालटनगंज से गढ़वा तबादला कर दिया गया.
उल्लेखनीय है कि 29 नवंबर 2017 को भवन निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव ने अधीक्षण अभियंता को पत्र लिखा था, जिसमें रमेश चंद्र के खिलाफ फर्जी टेंडर विज्ञापन के निष्पादन के प्रमाणित हो जाने की जानकारी दी गयी है.
पत्र में कार्यपालक अभियंता रमेश चंद्र और अन्य कर्मियों के खिलाफ तीन दिनों के अंदर आरोप पत्र में कार्रवाई का जिक्र है।


भवन निर्माण प्रमंडल, डालटनगंज द्वारा प्रकाशित 4 टेंडर यथा पीआर नं. 16-17 के 155165, 155470, 155494 और 159923 की जांच के लिए आइपीआरडी से जांच कराये जाने के बाद फर्जी साबित हुआ था. यानी ये चारों टेंडर आइपीआरडी को भेजा ही नहीं गया था, इसलिए टेंडर अखबारों में प्रकाशित नहीं हुआ। इससे प्रथम दृष्टया इस बात की संपुष्टि हो गयी कि भवन प्रमंडल, डालटनगंज के कार्यालय द्वारा फर्जी विज्ञापन के जरिये निविदा निष्पादन किया गया है।
अब देखना है कि इस इंजीनियर के खिलाफ हाईकोर्ट में कबसे सुनवाई शुरू होती है.