पिता की जगह बुनियाद लिखा,घर की जगह माँ

फादर्सडे – विशेष

इन शब्दों के अर्थ को समझने और समझाने में पूरी उम्र भी कम पड़ती है। यह कहा जा सकता है कि जन्म लेना और मृत्यु को प्राप्त होना हमारे हाथ में नहीं होता, पर इस क्रम में हम अपने जीवन में औसतन 80,000 लोगों से मिलते हैं।

इनमें से कुछ नाते – रिश्तेदार, कुछ बचपन के दोस्त, कुछ स्कूल के दोस्त, कुछ कॉलेज के दोस्त, कुछ सहकर्मी ऐसे ही कुछ और लोग। हम चाहे इन सब से मिलते जुलते हों या कितने भी करीब हों, हम कभी माता – पिता की जगह किसी को नहीं देना चाहते।

वैसे तो माता – पिता को हर दिन ही अनमोल होते हैं।
पर साल में एक दिन उन्हें यह जताने में कोई हर्ज नहीं है कि वो आपके लिए कितने अहम हैं और आपके जीवन में उनके क्या मायने हैं। हमारे जन्म से लेकर मृत्यु तक सिर्फ़ यही दोनों होते हैं जो निस्वार्थ भाव से सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रेम देते हैं।

इनके प्रेम में ना तो कोई दिखावा नहीं होता और ना ही कोई लालच। हर माँ-बाप अपने बच्चों के साथ अपना बचपन जीते हैं।हो सकता इनमें से कुछ सख़्त हों और अपने भाव आपको समझा न पा रहे हों।

यह भी समझा जा सकता है कि कभी – कभी हम भी अपनी भावनाएं उनको सही से समझा नहीं पाते हैं। ऐसे में हमें संयम से काम लेते हुए उनसे बात करनी चाहिए। माता – पिता के साथ उनके बच्चे छोटी आयु में तो उनपर पूरी तरह से निर्भर होते हैं, वहीं जीवन बढ़ने के साथ ही एक उम्र ऐसी भी आती है जहां हमारे माता हम पर ही निर्भर हो जाते हैं।

ऐसे में जैसे ध्यान से, प्रेम से समर्पित हो कर वो हमारे लिए खड़े होते हैं, हमें भी उनके लिए खड़े होना चाहिए। ये ना सोचें कि भाई है या बहन है तो वो देख देख लेंगे। उन्हें सब मिलकर अपना स्नेह दें।

जाते- जाते आपको एक उभरते कलाकार के चंद शब्दों के साथ छोड़े जाते हैं।

पिता की जगह बुनियाद लिखा,
घर की जगह माँ,
वैसे तो….
माँ शब्द मुकम्मल है,
इसे किसी उपमा की जरूरत नही।

फिर भी कल मैंने,
बंद कमरे में बैठे,
कागज़ पर बस,
घर और माँ लिखा,
और जी लिया,
माँ की गोद और पिता का आशीर्वाद।

~नीरज यादव।

neerajthepoet

FathersDay

आशा है आप अपने साथ-साथ उनका भी ध्यान रखेंगे तो आपके अपने तो नहीं पर माता – पिता समान ही हैं।